शादी में इतना झूठ तो चलता है(कड़वी सच्चाई).

रमा मोहन सिंह की लाडली बेटी थी, रमा ने हाल ही में बी०एड० की परीक्षा उतीर्ण की थी। रमा का एक बड़ा भाई था, जो मुम्बई जॉब करता था। रमा के पिताजी उसके लिए लड़का देख रहे थे लेकिन बात बन नहीं रही थी. एक दिन उनके मित्र शिव शंकर मिश्रा ने अपने एक मित्र से मिलवाया जिनका भतीजा शादी के योग्य था जो की पूना में इंजीनियर था। खैर, धीरे-धीरे बात आगे बढने लगी, एक- दूसरे की कुंडली को मिलाया गया. अच्छे गुणों से कुंडलियों का मेल हो गया। लड़के के पिताजी किसान थे और माँ गृहणी थी इसलिये लड़के के फूफाजी को ही भतीजे की शादी की जिम्मेदारी दी गई थी।

अब दोनों के परिवार वालो ने एक -दूसरे को लड़की और लड़के की फोटो भेजी. लड़के की दो फोटो लड़की के घर आई, लड़का लम्बा-चौड़ा था, नाक -नक्श भी अच्छे थे, गोरा – चिठ्ठा भी था, लेकिन दोनों फोटो में लड़के ने आँखों में स्टाइलिश काला चश्मा लगा रखा था। रमा की माँ ने अपने पति से कहा की कोई ऐसा फोटो मंगवाईए, जिसमें लड़के की आँखे भी दिखाई दे. रमा के पिता ने ये बात लड़के के फूफाजी को कही, तो उन्होंने कहा ठीक है भेज दूँगा। दूसरे दिन रमा के पिताजी अपने मित्र के साथ लड़के के घर गए, फूफाजी पहले से ही वहाँ मौजूद थे, रमा के पिता और उनके दोस्त की खुब आवाभगत की गई. लड़के की तरह-तरह की फोटो दिखाई गई ,लेकिन ऐसी कोई फोटो उनके पास नहीं थी जिसमें लड़का बिना चश्मा के हो, सबने बोला कि आजकल के लड़कों को तो आप जानते ही है कितने स्टाइलिश हो गये हैं कि बिना गोगल्स(चश्मा) के फोटो खिचवाते ही नहीं, फूफाजी ने कहा – अरे लड़का आएगा तब देख लीजिएगा, खैर रमा के पिता को घर-परिवार, जमीन-जायदाद, हर चीज पसंद आई।

लड़के के फूफाजी ने लड़की को देखने की इच्छा जाहिर की, तो उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए, उन्हें रमा से मिलवाया गया, उन्हें लड़की अच्छी लगी, तय हुआ की जब लड़का छुट्टियो में आएगा तब सभी परिवार वाले साथ मिलकर लड़की को देखेंगे, रमा के पिता इस बात के लिए राजी हो गये, लेकिन उनलोगों ने एक बार भी नहीं कहा की आप लड़का देख आइए, खैर रमा के पिता ने खुद उन लोगों से लड़के का पत्ता लेकर अपने बड़े बेटे को लड़के से मिलने को कह दिया। रमा का भाई एक-दो दिन बाद पूना लड़के से मिलने गया, लड़के ने एक नियत स्थान पर रमा के भाई को बुलाया. दूसरे दिन रमा का भाई नियत जगह पहुंचा, कुछ देर बाद लड़का भी वहाँ पहुंचा। लड़के को देखते ही रमा का भाई हैरान रह गया, क्योंकि पहली बार लड़के को बिना चश्मा के देखा ,हैरान इसलिए हुआ क्योंकि लड़के की एक आँख पूरी तरह खराब थी। लड़के ने बताया की रोड एक्सीडेंट में उसकी एक आँख चली गई थी जबकि ये बात लड़के के परिवार ने अभी तक नहीं बताई थी।

रमा के भाई ने ये सारी बातें अपने पिता को बताई, सभी हैरान रह गए , अब उनकी समझ मे आया कि लड़के के परिवार वालों ने उन्हें चश्मे वाली ही फोटो क्यों दी. कुछ देर के लिए सभी सदमें मे पड़ गए, कोई इतना बड़ा झूठ कैसे बोल सकता हैं,रमा के पिता ने ये बाते अपने दोस्त शिवशंकर मिश्रा को बताया, उन्होंने जब लड़के के फूफाजी (जो की उनके दोस्त थे) को डाँटते हुए कहा की शादी-ब्याह के मामले में कोई इतना बड़ा झूठ बोलता है क्या, तो लड़के के फूफाजी बड़ी ही बेशर्मी के साथ ये कहते हैं कि शादी-ब्याह मे इतना झूठ तो चलता ही हैं. इस पर मिश्रा जी ने कहा – आप जैसे घटीया सोच के लोगों के कारण लड़कियों की जिंदगी बरबाद होती हैं, तुम्हारा और मेरा रिश्ता भी इस रिश्ते के साथ यही खत्म होता हैं।

सबको तसल्ली बस इस बात की थी की उनकी लड़की की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई।

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“धन्यवाद”

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